माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी के द्वारा 5 जुलाई 2024 को शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति सिंह और उनकी माता मंजू सिंह को भारत के दूसरे सबसे बड़े शांति कालीन वीरता पुरस्कार “कीर्ति चक्र” से सम्मानित किया गया था, Captain Anshuman Singh के माता और पिता ने अपनी बहू पर यह आरोप लगाया है कि उनकी बहू स्मृति सब कुछ लेकर चली गई है यहां तक की उन्होंने कीर्ति चक्र को भी नहीं छोड़ा, आगे आपको इस लेख में विस्तृत जानकारी पढ़ने को मिलेगी इसलिए इस लेख को ध्यानपूर्वक पूरा पढ़िएगा।
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Captain Anshuman Singh कौन थे, कहां के रहने वाले थे?
कैप्टन अंशुमान सिंह देव उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के निवासी थे, इनके परिवार के सदस्य लखनऊ में रहते हैं अंशुमान के माता का नाम मंजू सिंह है और उनके पिता का नाम रवि प्रसाद सिंह है जो कि सेना से जेसीओ पद से रिटायर्ड है, अंशुमान सिंह और स्मृति सिंह एक ही साथ इंजीनियरिंग कॉलेज में मिले थे और लगभग 8 साल तक इन्होंने लव रिलेशन में थे, इसके बाद फरवरी 2023 में इन्होंने शादी कर लिया, कैप्टन अंशुमान सिंह पिछले साल जुलाई महीने में सियाचिन ग्लेशियर में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर पद पर तैनात थे, शादी के 5 महीने बाद ही Captain Anshuman Singh शहीद हो गये।
अंशुमान सिंह के शहीद होने के कुछ ही दिन बाद उनकी पत्नी स्मृति सिंह घर को छोड़कर चली गई,और अपनी एड्रेस को भी चेंज कर दिया और फोन में सभी के नंबर को ब्लॉक कर दिया।
Captain Anshuman Singh शहीद कैसे हो गए?
कैप्टन अंशुमान सिंह की पोस्टिंग दुनिया के सबसे बड़े युद्ध क्षेत्र सियाचिन में हुई थी, 19 जुलाई 2023 की बात है जब सेना के भंडार में आग लगी और कैप्टन अंशुमान सिंह ने जवानों को बचाने में मदद की, जब आग मेडिकल जांच केंद्र तक फैलने लगी तब Captain Anshuman Singh दवाईयों को निकालने की कोशिश करने लगे इसी के दौरान अंशुमान सिंह गंभीर रूप से जल गए और उनकी मृत्यु हो गई।

Captain Anshuman Singh के माता-पिता ने बहु पर क्या आरोप लगाया?
Captain Anshuman Singh माता-पिता ने अपनी बहू स्मृति सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि अंशुमान के शहीद होने के कुछ ही दिन बाद उनकी बहू स्मृति सिंह ने घर छोड़कर चली गई थी लेकिन जब कीर्ति चक्र सम्मान के लिए स्मृति सिंह और कैप्टन अंशुमन की माता को सम्मानित करने के लिए बुलाया गया, अंशुमान सिंह की पत्नी उस ही दिन 5 जुलाई 2024 को कीर्ति चक्र को लेकर के चली गई और कीर्ति चक्र को अपने सास एवं ससुर को छूने तक का मौका नहीं दिया।
अंशुमान के माता-पिता दुख भरे शब्दों में कहा कि कि मेरे बेटे की केवल एक तस्वीर है हमारे पास है बाकी सब उनकी बहू स्मृति सिंह अपने साथ सब ले गई है, स्मृति ने मुआवजे की राशि को लेकर के अपने ससुराल चली गई है, अंशुमान के माता-पिता सरकार के द्वारा भारतीय सेवा की निकटतम रिश्तेदार (Next to kin यानी NOK) नीति में संशोधन की मांग कर रहे हैं।

NOK क्या है?
जब कोई व्यक्ति सेवा में भर्ती होता है तो, उसके माता-पिता या अभिभावकों को NOK के रूप में शामिल किया जाता है, सेवा में भर्ती व्यक्ति की अगर अचानक शहीद हो जाते हैं तो मुआवजे के रूप में मिलने वाली धनराशि उसके परिवार में उसके माता-पिता को दी जाती है अगर युवक की शादी नहीं हुई हो, अगर सेवा में भर्ती युवक की शादी हुई हो तो मुआवजे के रूप में मिलने वाला लाभ केवल उसकी धर्मपत्नी ही उठा सकती है, अंशुमान के माता-पिता इसी नियम में परिवर्तन चाहते हैं क्योंकि उनकी बहू स्मृति सिंह ने घर को छोड़ दिया है और साथ में मुआवजे के रूप में मिलने वाली धनराशि को भी ले लिया है।
Captain Anshuman Singh के माता-पिता स्मृति सिंह से क्या चाहते हैं?
शाहिद Captain Anshuman Singh के माता-पिता स्मृति सिंह से चाहते हैं कि वह कीर्ति चक्र को वापस लौटा दे जिससे उनके पास उनके बेटे की कोई निशानी हो और उनके माता-पिता शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की एक मूर्ति लखनऊ में स्थापित करने जा रहे हैं वे चाहते हैं कि कीर्ति चक्र के साथ मूर्ति का उद्घाटन किया जाए